भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूरज उगाया जाता / शमशेर बहादुर सिंह
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:04, 12 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
रज
उगाया जाता
फूलों में:
यदि हम
एक साथ
हँस पड़ते।
चाँद
आँगन बनता:
आँखों में रासभूमि यदि -
सौर मंडल की मिलती।
सार हम होते
काव्य के
अनुपम भूत-भविष्य के:
यदि हम
वर्तमान
में
एक साथ
हँसते रोते गाते
एक साथ! एक साथ! एक साथ!