भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अतुल अनन्त अचिन्त्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:26, 10 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अतुल अनन्त अचिन्त्य सद्गुणों के शुचितम शुभ आकर।
असुर-दैत्य-तम-निशा-विनाशक रवि-कुल-कमल-दिवाकर॥
साधु-धर्म-संरक्षण-संबर्धन-हित नित्य धनुर्धर।
अखिल विश्वगत प्राणिमात्र के सहज समर्थ सुहृदवर॥
मात-पिता-गुरुभक्ति अनुत्तम भ्रातृ-स्नेह-रत्नाकर।
राम स्वयं भगवान अकारण-करुण भक्त-भव-भयहर॥