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है तो है / एहतराम इस्लाम
Kavita Kosh से
है तो है
रचनाकार | एहतेराम इस्लाम |
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प्रकाशक | प्रथम संस्करण : हिन्दुस्तानी एकेडमी, द्वितीय संस्करण : अंजुमन प्रकाशन, 942, आर्य कन्या चौराहा, मुट्ठीगंज, इलाहाबद |
वर्ष | 1993, 2014 |
भाषा | हिंदी |
विषय | कविता |
विधा | गज़ल |
पृष्ठ | 112 |
ISBN | 978-93-83969-28-9 |
विविध | यह एहतराम इस्लाम की रचनाओं का पहला संग्रह है। |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अग्नि-वर्षा है तो है हाँ बर्फ़बारी है तो है (ग़ज़ल) / एहतराम इस्लाम
- बदली कहाँ हालात की तस्वीर वही है / एहतराम इस्लाम
- क्या फ़िक्र की / एहतराम इस्लाम
- अंतरगति का चित्र / एहतराम इस्लाम
- दृश्य जारी है मगर / एहतराम इस्लाम
- आखों में भडकती हैं / एहतराम इस्लाम
- चहरे की मुस्कान गई / एहतराम इस्लाम
- अग्नि शय्या पर सो रहे हैं लोग / एहतराम इस्लाम
- डूबने के भय... / एहतराम इस्लाम
- शक्ल मेरी क्या चमकी / एहतराम इस्लाम
- धन की राहें ढूंढ ली ... / एहतराम इस्लाम
- अपने सीने में मेरा बिम्ब बराबर देखो / एहतराम इस्लाम
- जमी पर खेल कैसा हो रहा है / एहतराम इस्लाम
- दुनिया के गम / एहतराम इस्लाम
- बोझ ह्रदय पर भारी हो / एहतराम इस्लाम
- कुछ तो कमरे में गुजर होगा हवा का पागल / एहतराम इस्लाम
- हदें फलांगता ऊपर निकल गया कितना / एहतराम इस्लाम
- जीवित हूँ क्या अर्थ ? / एहतराम इस्लाम
- दर बी दर भटकेंगें यूं ही / एहतराम इस्लाम
- रात भर एश से हर शख्स उसी में सोया / एहतराम इस्लाम
- मन को भी देख रूप के दर्पण के ओट में / एहतराम इस्लाम
- भ्रस्ट है तो क्या हुआ / एहतराम इस्लाम
- पथ पे आयेंगे लोग जाने कब / एहतराम इस्लाम
- स्वार्थ के दलदल से बच / एहतराम इस्लाम
- हिम प्रांगण में पुष्प खिले औ’ ख़ुशियों की महकार हुई / एहतराम इस्लाम
- पूर्व की छाती से ख़ूँ फ़व्वारे की सूरत उड़ा / एहतराम इस्लाम
- इन्साफ़ की दिशा में अन्याय हो रहा है / एहतराम इस्लाम
- तन कर खड़ा हुआ था तो मैं संग-ए-मील था / एहतराम इस्लाम
- गालियाँ क्या दीजिए शैतान को / एहतराम इस्लाम
- सीमाओं के घेरे को विस्तार समझता है / एहतराम इस्लाम
- हुआ ख़ुश बेचकर ईमान मैं भी / एहतराम इस्लाम
- लूटकर पल भर में घर घर को दिखा देगा निज़ाम / एहतराम इस्लाम
- दूध के नाम पे जल पाते हैं / एहतराम इस्लाम
- ठहरी गर्द-ग़ुबार हवा / एहतराम इस्लाम
- प्यार को बला समझे / एहतराम इस्लाम
- ऐसा भी इक काम करूँ मैं, नाम छपे अख़्बारों में / एहतराम इस्लाम
- वार तो भरपूर था ढीला न था / एहतराम इस्लाम
- यूँ समय-चक्र ने घन चलाये / एहतराम इस्लाम
- न काम आई हमारी बे-गुनाही / एहतराम इस्लाम
- हवा में सर उछाले जा रहे हैं / एहतराम इस्लाम
- आइना ज़िन्दगी का तोड़ गये / एहतराम इस्लाम
- आँकड़ों में छा गया लेखा विफल संघर्ष का / एहतराम इस्लाम
- झूठ के जूते में मर्यादा निभाता किस तरह / एहतराम इस्लाम
- / एहतराम इस्लाम
- / एहतराम इस्लाम
- / एहतराम इस्लाम
- / एहतराम इस्लाम
- / एहतराम इस्लाम
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