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जिनगी सगर छै / कुंदन अमिताभ

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जिनगी सगर छै जरा-जरा
छै मौत जहाँ भी जरा-जरा।
हवा-हवा भलुक सोहानऽ हवा
द्वार मनऽ के खोल्हऽ जों जरा-जरा।
सब दरबज्जा यहाऽ फिट्टे छै
खटखटाभौ तेॅ सही जरा-जरा।
मिटी जैथौं मंजिल के सब फासला
हौसला बुलन्द राखऽ जों जरा-जरा।
छै इंजोरऽ के आगू पथार लागलऽ
अंधियारा चीरऽ अगर जरा-जरा।
चलथौं चाँन तारा भी संग तोरऽ
चलऽ राथौ केॅ जों जरा-जरा।
लगी जैथौं जिनगी के पार घाट
मझधार थाहऽ जों जरा-जरा।