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शितलहरी / रामदेव भावुक

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छम-छम धूप नाचै छै छत पर
छौ आपन अंगना छहरी मे
अपहरण भेलौ सुरजा के मैयो
मरि जेबें शितलहरी मे

जेकरा आगू छठ मे मेवा, सूप से मैयो परसै छें
ओकरे आगू भरल पूस में, धूप ले मैयो तरसै छें

एक ते’ देह पर बस्तर नै छौ
दोसर बैठल छॅ बहरी में

जै चन्दा के चौरचन्दा में, पान-फूल से नापै छें
भरल पूर्णमासी मे ओकरे, सोझा थर-थर काँपै छें

नागपंचमी दिन नागिन के
पिलबै छें दूध बिषहरी मे

उखारि के फेक देलकौ तुलसी के, तुलसीचौरा कानै छौ
हँसि रहल छौ मुरती तोहर, जालिम जार के जानै छौ

जाड़ चार कम्मल के कटतौ
केना के एक मुसहरी मे

तोहर दिल के टुकड़ा मैयो, टुकड़ा-टुकड़ा में बिखरल छौ
एक चद्दर तर केना के अँटतौ, कुल के मन मे अखरल छौ

ई घ’र ते’ बुरबे करतौ
हे गे माय दसहरी मे

लाल चुनरी लहरैबे करतौ, पुरबैया लगै छै बाम होतौ
पछिया ते’ पछतैबे करतौ, दुनिया में बदनाम होतौ

ऐ कुहेस के मुरछा लगतौ
मैयो भरल कचहरी मे