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छुहाउ रूह जो भुणिके थो इएं! / अर्जुन हासिद

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कंहिं खां नालो पुछणु, सही त न हो!
कंहिं जो नालो ॻिन्हणु, सही त न हो!

कंहिं बि कारण, या बस बिना कारण,
पंहिंजो नालो खणणु, सही त न हो!

हा, मञियोसीं त पाण में हुआसीं,
पो बि कंहिं ते खिलणु, सही त न हो!

रीति वहिंवारु पुणि अचणु घुरिजे,
मुंहुं घुंजाए मिलणु, सही त न हो!

को त दस्तूर आहे महफ़िल जो,
ख़ार खाई उथणु, सही त न हो!

जेके नाजु़क तबअ हुआ तिनि खे,
इअं अखियुनि सां छुहणु, सही त न हो!

तुंहिंजा वाक़िफ़ लॻा त थे हासिद,
पोे बि पोयां लॻणु, सही त न हो!