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जौ जश दे धरती माता / गढ़वाली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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यूँ को राज रखो देवता,
माथा भाग दे देवता!
यूँ का बेटा-बेटी रखो देवता,
यूँ का कुल की जोत जगौ देवता।
यूँ का खाना जश दे,
माथा भाग दे देवता!
यूँ की डाँडो काँठ्यों<ref>चोटी</ref> मा,
फूँलीं रौ फ्योंली<ref>एक फूल</ref> डंड्यौली
यूँ कि साग सवाड़ी,
रौन रोज कलबली<ref>एक फूल</ref>।
धरती माता सोनो बरखाओ,
नाजा<ref>अनाज</ref> का कौठारा<ref>कोठार</ref> दे,
धन का भंडारा दे।
शब्दार्थ
<references/>