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भो भो नसोध / रत्न शमशेर थापा

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भो भो नसोध अब केहि मलाई
रुकेमा छ बुझ तिम्रै भलाई, लौ है

चाँदनी रात निलो आकाश
छर्छन् जहीं यहीं सुबास
जानु नजानु यो दिल दुखाई
रुकेमा छ बुझ तिम्रै भलाई, लौ है

टलल टलल तारा मुनि
सलल सलल बग्ने ध्वनि
सुन्नु नसुन्नु आउनु आई
रुकेमा छ बुझ तिम्रै भलाई, लौ है

बसन्ती हावा फूलको मेला
रुपौला घटा प्यारको बेला
बुझ्नु नबुझु बिरह जगाई
रुकेमा छ बुझ तिम्रै भलाई, लौ है