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जिन्दगी / मनीष कुमार गुंज

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सुख के जिन्दगी, कभी दुखों के जिन्दगी
जहिनोॅ छै हमरो ओना सबके जिन्दगी।

एक सुन्दर सलोना सन रूप जिन्दगी
कभी सूरज के रंग कभी अन्हरकूप जिन्दगी।

सुख-दुख के अैना मसहूर जिन्दगी
कभी अपनो से करै छै दूर जिन्दगी।

कभी प्रेम बांटी दर्द भगाबै छै जिन्दगी
मौत भी गला से लगाबै छै जिन्दगी।

विपत में भी धैर्य सिखाबे छै जिन्दगी
हमरा से कुछ-कुछ लिखाबै छै जिन्दगी।