भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिन्दगी / मनीष कुमार गुंज
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:18, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनीष कुमार गुंज |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सुख के जिन्दगी, कभी दुखों के जिन्दगी
जहिनोॅ छै हमरो ओना सबके जिन्दगी।
एक सुन्दर सलोना सन रूप जिन्दगी
कभी सूरज के रंग कभी अन्हरकूप जिन्दगी।
सुख-दुख के अैना मसहूर जिन्दगी
कभी अपनो से करै छै दूर जिन्दगी।
कभी प्रेम बांटी दर्द भगाबै छै जिन्दगी
मौत भी गला से लगाबै छै जिन्दगी।
विपत में भी धैर्य सिखाबे छै जिन्दगी
हमरा से कुछ-कुछ लिखाबै छै जिन्दगी।