भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्या करें हम! / रश्मि शर्मा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:24, 4 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} <poem> हल्की-हल्की...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हल्की-हल्की-सी बारिश
और तनहा यहाँ हम
ऐसे में तुझको याद न करें
तो और क्या करें हम
पत्तों पर ठहरी शबनम
और बूँदों के नीचे ठहरें हम
इस बयार में तेरा नाम न पुकारें
तो और क्या करें हम
आसमान जब देता है
धरती को बारिश की थपकी
ऐसे में सावन को ना निहारें
तो और क्या करें हम
डाकिया बन बूँदें
पहुँचाती है यादों के ख़त
ऐसे में किवाड़ न खोलें
तो और क्या करें हम
उमड़ते काले बादलों को देख
नाच उठता है मन-मयूर
ऐसे में ख़ुद को ना सवारें
तो और क्या करें हम!