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दिन बीते बेगारी में / मृदुला झा
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क्या जायेगा थारी में।
जाऊँ मैं अब किसके दर
सबके सब बेकारी में।
बिन रोटी के कितने दिन
गुजरेंगे बेजारी में।
बी पी एल में नाम नहीं
घूस की मारा मारी में।
माँ बेटे की आँखों के
सपने हैं दुश्वारी में।