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ग्रीष्म की उपस्थिति / मार्गस लैटिक
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ग्रीष्म ने आते ही,
चुरा लिए
हमारे सारे कवच...
एक लंबे अंतराल तक,
हम घिरे रहे इक
गहरी,श्वेत खामोशी में...
आहें गुथती गईं
कभी चोटियों में,
कभी जहाज के पालों में!
जो समंदर पर
लाती हैं हवाएँ
जो जुदा नहीं होती हमसे
एकटक निगाह के अलावा
हर कुछ
अनंत है हरियाली में