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पुण्य प्रसू / सुमित्रानंदन पंत

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ताक रहे हो गगन ? मृत्यु - नीलिमा - गहन गगन ? अनिमेष, अचितवन, काल-नयन ? नि:स्पंद, शून्य, निर्जन, नि:स्वन ?

देखो भू को ! जीव प्रसू को ! हरित भरित पल्लवित मर्मरित कूजित गुंजित कुसुमित भू को !

कोमल चंचल शाद्वल अंचल, कल-कल छल-छल चल-जल-निर्मल, कुसुम खचित मारुत सुरभित खग कुल कूजित प्रिय पशु मुखरित जिस पर अंकित सुर-मुनि-वंदित मानव पद तल !

देखो भू को स्वर्गिम भू को, मानव पुण्य-प्रसू को !