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ये सच है—देह के बाहर भी देखना होगा / जहीर कुरैशी
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ये सच है देह के बाहर भी देखना होगा
मगर कभी —कभी अंदर भी देखना होगा
दुबक के बैठ गया था जो एक दिन मन में
तुम्हें तुम्हारा वही डर भी देखना होगा
रहोगे कितने दिनों तक किसी के घर मेहमान
नए शहर में, नया घर भी देखना होगा
हमारे जूते के अंदर पहुँच गया कैसे
जो चुभ रहा है, वो कंकर भी देखना होगा
लड़ाने वालों की रणनीति के तहत तुमको
‘बटेर’ के लिए ‘तीतर’ भी देखना होगा !
जो अवसरों के मुताबिक बदलता रहता है
उसे बदलने का अवसर भी देखना होगा
चलोगे ‘धार के विपरीत’ ज़िन्दगी में अगर
तो तुमको धार से लड़कर भी देखना होगा.