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मैं जो बन्दी हूं / अज्ञेय
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मैं, जो बंदी हूं गाता हूं आनन्दित-मुक्तिगीत: मेरी बेडि़यां फुसफुसाती रहती हैं- "तुम समग्र हो, तुम हो स्वतन्त्र" तुम्हारे बन्धन हैं केवल तुम्हारे बन्धुओं के मुक्ति-प्रतीक !"
और... तुम जो आबद्ध/स्वेच्छाचारी हो चीखते रहो अनवरत आशंका में- "हमें उसको बनाए रखना है बन्दी, अन्यथा हम मर जाएंगे।"