के रहा उ / हरिदेव सहतू
के रहा उ मैया
के रहा उ जौन
सबेरे तड़के उठा के
प्रार्थना के बाद
गाय बैल, मुर्गी-मुर्गा के
देखभाल करके
लड़कन के सेवा में
लग जात रहा
हमार नानी
हमार आजी,
सबके रानी।
के रहा उ हिम्मती मन
के रहा उ जौन
करके खेती
धान बना, बकुआ
ककाउ और भाजी के
धन दौलत कमाइ के
लड़कन के पेट भरत रहा
हमार नानी
हमार आजी,
सबके रानी।
के रहा उ
के रहा उ जौन
अपन बोट में लड़कन के
बैठाइके
सरमक्का-नदी में
खे-खे के
ना केवल पानी
के हलफा पे
बाकी जीवने के
के हलफा पे
बाकी जीवन के
के हलफा पे भी
विजय प्राप्त करिस
हमार नानी
हमार आजी,
सबके रानी।
के रहा उ गुरूमन
के रहा उ जौन
अपन मेहनत की कमाई से
बाप के रा रहे पे भी
अपन लड़कन के
पढ़ाई लिखाई के
समाज सेवक,
देश सेवक
धर्म-जाति रक्षक
बनाइ के
अमर होइगे
हमार नानी
हमार आजी,
सबके रानी।