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गले लगाएँ / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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1 तुम छाया हो जीवन की धूप में मन, काया हो। 2 शीत भीषण काँप जब वजूद, तुम हो धूप। 3 मिटता वैभव जर्जर होती काया प्यार न मिटे। 4 एक छुअन हौले लिया चुम्बन प्राण जगाए। 5 कितना दिया ! पिलाया मधुरस! जाने ये हिया। 6 देती है ऊर्जा तेरी वे प्रार्थनाएँ गले लगाएँ। 7 शब्दों में रस दृष्टि में मधु स्पर्श तुझसे पाया।

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