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बारिश-3 / वन्दना टेटे
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मैं बारिश में थी
और बारिश मुझमें
मेरे पंख भींग रहे थे
देह नदी हो गई थी
शब्द पानी-पानी हो रहे थे
हंसी झरने की तरह
शोर कर रहे थे
बदमाश बादल मेरे पीछे पड़ा था
किसी आवारा शोहदे की तरह