भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लड़की / मोहन साहिल
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:48, 19 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन साहिल |संग्रह=एक दिन टूट जाएगा पहाड़ / मोहन ...)
मेरे पास रोज एक छोटी लड़की बैठती है
देखती है कोरा कागज़्
और उस पर लिखे जा रहे शब्द
नन्ही हथेलियों पर मेहंदी रचाए
शब्द-शब्द पर ताली बजाती है लड़की
कभी सजाकर बैठती नन्ही चोटी में फूल
मेरी कहानी के साथ-साथ बड़ी होती लड़की
मुश्किल है कहानी का अंत करना
और लड़की को संभालना
खत्म हो गया है दुखांत कहानियों का दौर
लड़की को लेकर लिखी जाने वाली कहानी
अब सुखांत होगी
लड़की उचक-उचक कर देख रही है
लिखे जा रहे शब्द