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अम्मा का खत / केशव

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बच्चा
छत पर बैठा है
     रो रहा है

बच्चे की
किलकारियाँ आँगन में
       गूँज रही हैं
बच्चा
आरमान की ओर मुँह किये
       मुस्कुरा रहा है

बच्चे की दुनिया में
जिस तरह से चला जाता है कोई
उसी तरह लौट भी आता है
सचमुच
एक आत्मा है
बच्चा