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सुबह की तरह / सौरीन्द्र बारिक
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सुबह की तरह एक जानी-पहचानी नवीनता में चकित किया था मुझे।
तुमने मुझमें काकली-सी कोलाहल पूर्ण मधुरता भरकर मुग्ध किया था।
फिर चंद्रिका-सी देह में शीतल उष्णता भर कर तुमने मुझे उन्मत्त किया था।