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पिंजरे के पंछी रे / प्रदीप
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कवि: प्रदीप
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पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोए
कह ना सके तू, अपनी कहानी
तेरी भी पंछी, क्या ज़िंदगानी रे
विधि ने तेरी कथा लिखी आँसू में कलम डुबोए
तेरा दर्द ना जाने कोए
चुपके चुपके, रोने वाले
रखना छुपाके, दिल के छाले रे
ये पत्थर का देश हैं पगले, यहाँ कोई ना तेरा होय
तेरा दर्द ना जाने कोए