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पालतू / प्रभाकर माचवे
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कवि: प्रभाकर माचवे
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पहले उस ने पाले कुछ पिल्ले
बडे हुए, भाग गये;
पाली कुछ बिल्लियाँ, वे
दोस्तों को दे दी ।
फिर पाली कुछ लाल मछलियाँ,
वे मर गयीं;
पाला एक तोता, जो उड गया ।
जोडे का एक बचा
उठा गयी मित्र की बिडाली उसे
पालने की यह आदत
कम न हुई ।
सुना है कि आजकल, रखें हैं कुछ आदमी
पालतू,
फ़ालतू !
होगा क्या उनका ?
(मार देंगे पडोसी के बडे बम ?
फिर भी नहीं होंगे कम) ।