भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नसीम तेरी क़बा / अली सरदार जाफ़री

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:02, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नसीम तेरी क़बा, बूए-गुल है पैराहन
हया का रंग रिदाए-बहार१ उढा़ता है
तेरे बदन का चमन ऐसे जगमगाता है
कि जैसे सैले-सहत, जैसे नूर का दामन
सितारे डूबत हैं चाँद झिलमिलाता है



१.बहार की चादर