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स्त्री / शलभ श्रीराम सिंह
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एक हँसी का नाम है स्त्री
स्त्री एक रुलाई का नाम है
एक खामोशी का नाम है स्त्री
स्त्री एक ख़बर का नाम है
एक नज़र का नाम है स्त्री
स्त्री एक लहर का नाम है।
एक चेतना का नाम है स्त्री
स्त्री एक घटना का नाम है
एक रचना का नाम है स्त्री।
स्त्री के भीतर
मुझे कभी कोई स्त्री नहीं दिखी
एक भी पंक्ति नहीं लिखी मैंने
स्त्री के ऊपर।
रचनाकाल : 1993