भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जो है सो है / त्रिलोचन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खिले फूलों से ही खिंच कर रमे जो भुवन में

अभावों की छाया पकड़ कर भावांत उन का

दिखाएगी, क्या है ललित रचना, शून्य मन की.

यहाँ जो है सो है विवश पद की धूल बन के .