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तेरे बिन / रमेश गौड़
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जैसे सूखा ताल बचा रहे या कुछ कंकड़ या कुछ काई
जैसे धूल भरे मेले में चलने लगे साथ तन्हाई,
तेरे बिन मेरे होने का मतलब कुछ-कुछ ऐसा ही है
जैसे सिफ़रों की क़तार बाक़ी हर जाए बिन इकाई ।
जैसे ध्रुवतारा बेबस हो, स्याही सागर में घुल जाए
जैसे बरसोम बाद मिली चिट्ठी भी बिना पढ़े धुल जाए,
तेरे बिन मेरे होने का मतलब कुछ-कुछ ऐसा ही है
जैसे लावारिस बच्चे की आधी रात नींद खुल जाए ।
जैसे निर्णय कर लेने पर मन में एक द्विधा रह जाए
जैसे बचपन की क़िताब में कोई फूल मुँदा रह जाए,
मेरे मन पर तेरी यादें अब भी कुछ ऐसे अँकित हैं
जैसे खँडहर पर शासक का शासन-काल खुदा रह जाए ।