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उसने फूल भेजे हैं / परवीन शाकिर

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उसने फूल भेजे हैं

फिर मेरी अयादत को

एक-एक पत्ती में

उन लबों की नरमी है

उन जमील हाथों की

ख़ुशगवार हिद्दत है

उन लतीफ़ सांसों की

दिलनवाज़ ख़ुशबू है


दिल में फूल खिलते हैं

रुह में चिराग़ां है

ज़िन्दगी मुअत्तर है


फिर भी दिल यह कहता है

बात कुछ बना लेना

वक़्त के खज़ाने से

एक पल चुरा लेना

काश! वो खुद आ जाता


अयादत=शोकमिलन, ज़मील=सुंदर, हिद्दत=उग्रता, मुअत्तर=सुगंधित