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मुनिया / दीनदयाल शर्मा

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मुनिया रोती ऊँ-ऊँ-ऊँ,
ना जाने रोती है क्यूँ ।

किसने इसको मारा है,
या इसको फटकारा है ।

रोना अच्छी बात नहीं,
फिर मुनिया रोती है क्यूँ ।

गुड़िय़ा इसकी रूठ गई,
या गड़िय़ा फिर टूट गई ।

टूटी को हम जोड़ेंगे,
रूठी है तो रूठी क्यूँ ।

मुनिया को मनाएँगे,
बार-बार बहलाएँगे ।

कारण पूछें रोने का,
मुनिया तू रोती है क्यूँ ।