भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गिलहरियाँ / अशोक लव
Kavita Kosh से
Abha Khetarpal (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:24, 4 अगस्त 2010 का अवतरण
नन्ही गिलहरियाँ
पेड़ों से उतरकर
आ जाती हैं नीचे
उठा लेती हैं
छोटी छोटी उँगलियों से
बिखरे दाने
तुक-तुक काटती खाती हैं
टुकर-टुकर ताकती हैं
लजा जाती है
उनकी चंचलता के समक्ष
कौंधती बिजलियाँ
झाड़ियों में दुबकी बिल्ली
झट से झपटती है
चट से चढ़ जाती है पेड़ों पर गिलहरियाँ
खूब चिढ़ाती हैं
खिसियाई बिल्ली
गर्दन नीचे किये खिसक जाती है
गिलहरियों कि ओर बढ़ा देता हूँ
मित्रता का हाथ
उड़ेल देना चाहता हूँ
सम्पूरण स्नेह
बहुत भली होती हैं गिलहरियाँ
पास आकर भाग जाती हैं गिलहरियाँ