भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्तिम क्षण का गीत / आन्ना अख़्मातवा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{{KKRachna

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: आन्ना अख़्मातवा  » अन्तिम क्षण का गीत

बहुत बेबस था मन मेरा
पर चाल थी मेरी हल्की
मैं दस्ताना बदल रही थी
घबराहट थी कल की

मुझे लगा- सीढ़ियाँ हैं ज़्यादा
पर सीढ़ी थीं केवल तीन
उधर फुसफुसा रहा था पतझड़
आ, आजा! मौत है हसीन!

मैं चली थी धोखा देने
अपने दुखी, अशांत जीवन को
कहा- तेरे साथ मरूँगी
वारा तुझ पर तन-मन को

यह गीत था अन्तिम क्षण का
देखा मैंने उस घर को
वहाँ शयनकक्ष था रोशन
उस फीके पीले निर्झर को

मूल रूसी भाषा से अनूदित : अनिल जनविजय