भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ये रहनुमाओं ने की हैं इनायतें कैसी / ज्ञान प्रकाश विवेक
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:33, 13 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक |संग्रह=आंखों में आसमान / ज्ञ…)
{KKGlobal}}
ये रहनुमाओं ने की हैं इनायतें कैसी
कि दे रहे हैं फ़क़ीरों को दावतें कैसी
खिलौने छीन के बच्चों को दे दिए चाकू
मेरे अहद ने लिटाई नियामतें कैसी
जिसे मिलो वही लगता है ख़ुद से रूठा हुआ
उभर रहीं हैं सभी में अलामतें कैसी
हरेक शख़्स के कंधे पे है सलीब कोई
कि इस निज़ाम ने भेजी हैं राहतें कैसी
मकान ज्वालामुखी पर बना के बैठा है
वो ख़ुद से करने लगा है अदावतें कैसी