भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बादडियो गगरिया भर दे / कुमार विश्वास
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:16, 29 मई 2007 का अवतरण
रचनाकार: कुमार विश्वास
~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~
बादडियो गगरिया भर दे
बादडियो गगरिया भर दे
प्यासे तन-मन-जीवन को
इस बार तू तर कर दे
बादडियो गगरिया भर दे
अंबर से अमृत बरसे
तू बैठ महल मे तरसे
प्यासा ही मर जाएगा
बाहर तो आजा घर से
इस बार समन्दर अपना
बूँदों के हवाले कर दे
बादडियो गगरिया भर दे
सबकी अरदास पता है
रब को सब खास पता है
जो पानी मे घुल जाए
बस उसको प्यास पता है
बूँदों की लडी बिखरा दे
आँगन मे उजाले कर दे
बादडियो गगरिया भर दे
बादडियो गगरिया भर दे
प्यासे तन-मन-जीवन को
इस बार तू तर कर दे
बादडियो गगरिया भर दे
कोई दीवाना कहता है (२००७) मे प्रकाशित