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बादडियो गगरिया भर दे / कुमार विश्वास

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कविता-संग्रह कोई दीवाना कहता है (2007) से

बादडियो गगरिया भर दे

बादडियो गगरिया भर दे

प्यासे तन-मन-जीवन को

इस बार तू तर कर दे

बादडियो गगरिया भर दे


अंबर से अमृत बरसे

तू बैठ महल मे तरसे

प्यासा ही मर जाएगा

बाहर तो आजा घर से

इस बार समन्दर अपना

बूँदों के हवाले कर दे

बादडियो गगरिया भर दे


सबकी अरदास पता है

रब को सब खास पता है

जो पानी मे घुल जाए

बस उसको प्यास पता है

बूँदों की लडी बिखरा दे

आँगन मे उजाले कर दे

बादडियो गगरिया भर दे

बादडियो गगरिया भर दे

प्यासे तन-मन-जीवन को

इस बार तू तर कर दे

बादडियो गगरिया भर दे