भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मौसेरे भाई / भरत ओला
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:31, 5 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भरत ओला |संग्रह=सरहद के आर पार / भरत ओला}} {{KKCatKavita}} <Po…)
हर रोज
गधा रेहड़ी जोड़ते वक्त
फजलू
मंदिर से आरती
और मस्जिद से अजान सुनता है
उसने सुना है
हिन्दू नहीं देते
अल्लाह को बांग
और मुसलमान
नहीं जपते राम
सीधी सी बात है
मगर फजलू की समझ से बाहर है
क्योंकि
दिहाड़ी चुकाते वक्त दोनो के हाथ एकसार हैं