भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नई दिशा / लीलाधर जगूड़ी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:34, 5 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = लीलाधर जगूड़ी }} <poem> बेटी जब पहली बार रजस्वला हुई…)
बेटी जब पहली बार रजस्वला हुई
दादी और माँ के साथ
दीदी और भुली की भी याद आई मुझे
पिछली बार जब बुआ जी आईं थीं
साबी को यही समझाकर गईं
कि बेबी अब सातवें दर्ज़े में है
कभी भी अचानक कुछ हो सकता है
बेबी को पितर आशीषों से नहला गए
बेटी से ही खुलती है रिश्तों की नई दिशा ।