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झाला / दिनेश कुमार शुक्ल
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					बन रहे हैं, फूटते हैं, बुलबुले 
झर रहा आषाढ़ का झाला 
एक चिड़िया चुग रही है बुलबुले 
बह गया है जाल ... 
उत्ताल जल की ताल 
झाला बज रहा है
 
	
	

