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बादशाह / मिथिलेश श्रीवास्तव

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रौशनी यहाँ भरपूर है पर लगता है
टेलीफ़ोन और बिजली के तार की तरह दुख
लाखों घरों में फैला है
रंग एक संभ्रांत अहसास है
चौराहे पर जली हुई लाल बत्ती
रुकने का संकेत है
आदमी पर आदमी का भरोसा नहीं ।
उस तेज़ जाती मोटर के ऊपर जुगनू की तरह
भुकभुकाती वह लाल बत्ती
किसी संकट में रास्ता देने का अनुरोध नहीं
बादशाह के आने की सूचना है