भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनुराग / त्रिलोचन
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:52, 9 जुलाई 2007 का अवतरण
अतिथि से सब का समभाव है;
जब उषा उतरी तब भूमि का
हुलसना, खिलना, किस से छिपा,
पकड़ है जिसमें अनुराग है.