भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रीत-16 / विनोद स्वामी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:41, 15 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विनोद स्वामी |संग्रह= }} Category:मूल राजस्थानी भाषा…)
तोतै रा खायोड़ा बेरिया मीठा होवै
आ कैय’र तूं
म्हारै साम्हीं
आपरी मुट्ठी खोल दी
पण म्हैं जाणूं
फगत तोतै रा खायोड़ा ई
मीठा कोनी होवै
बेरिया,
तेरा चुगेड़ा भी।