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प्रीत-17 / विनोद स्वामी
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सींव ऊपरलो सरकणो
का’ल गळगळो हो’र बोल्यो-
म्हैं
भारी ईं बात खातर कोनी दी कै
बा तेरा खोज ढो’वै,
ईं बात नै ले’र देख
म्हैं सूक्यो खड़्यो हूं।