भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूलों के देश में / भारत यायावर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:27, 12 जुलाई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारत यायावर |संग्रह=हाल-बेहाल / भारत यायावर }} रहती थी ए...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


रहती थी एक परी फूलों के देश में । सात समंदर

पार का एक राक्षस उठा ले गया एक बार और

देश के फूल उदास हो गए ।

बचपन में माँ सुनाती थी कहानी । सपने में कौंधता है

बचपन । जब-तब । बचपन में वह कहानी कौंधती है

जब-तब ।

फूल उदास हैं अब भी । देश उदास है । आदमी उदास है ।

सब कुछ उदास है सपने में । सपने के बाहर मैं उदास हूँ ।

ख़ुशी किसने छीन ली है?

मन में कौंधता है राक्षस । उसके पंजों में रोती है परी ।

मैं अनवरत अपनी उदासी के खिलाफ़ लड़ रहा हूँ ।

लड़ रहा हूँ राक्षस के खिलाफ़ । परी की मुक्ति मेरे लिए फूलों की

हँसी है । मेरी मुक्ति है ।


(रचनाकाल:1981)