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सच के आगे जनाब क्या करते / रोशन लाल 'रौशन'

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सच के आगे जनाब क्या करते
हो गए ला-जवाब क्या करते

लूट में जो यक़ीन रखते हैं
ज़िन्दगी का हिसाब क्या करते

ज़िन्दगी कट गई गुनाहों में
कोई कारे-सवाब क्या करते

वो जो रुसवाइयों से डरते हैं
शेर वो इन्तिखाब क्या करते

जिनको काँटों का ख़ौफ़ था 'रौशन'
आरजू-ए-गुलाब क्या करते