भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नृत्य / रामनरेश त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:17, 7 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश त्रिपाठी |संग्रह=मानसी / र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नाचती है भूमि नाचते हैं रवि राकापति
नाचते हैं तारागण धूमकेतु धाराधर।
नाचता है मन, नाचते हैं अणु परमाणु
नाचता है काल बन ब्रह्मा, विष्णु और हर॥
नाचता समीर अविराम गति से है सदा
नाचती है ऋतुएँ अनेक रूप रंग कर।
नाचता है जीव नाना देह धर बार बार
देखता है नृत्य, वह कौन है रसिकवर?