भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्त्री / कमलेश्वर साहू

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:23, 26 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश्वर साहू |संग्रह=किताब से निक...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


चित्रकार का जीवन रंगहीन था
मगर उसके पास रंग थे ढेर सारे
कूची थी
कैनवास भी था
रंगहीन जीवन से ऊबकर
लगभग डरकर
चित्रकार ने
एक स्त्री की तस्वीर बनायी
और कैनवास को
भर दिया रंगों से
रंगों के आकर्षण से
आकर्षण इन्द्रधनुषी !
इतने सारे रंग देख
जीवन में आने की इच्छा हुई स्त्री की
आई भी
मगर दुर्भाग्य
सारे इन्द्रधनुषी रंग
कैनवास में ही रह गये !!