भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुनहरे पल / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:11, 23 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालित्य ललित |संग्रह=चूल्हा उदास ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
एक ऐसा
पल भी आप की जिंदगी में
आता है
जो उस क्षण को
महत्वपूर्ण बनाता है
मसलन आप मंच पर होते हैं
ज़माना सीटों पर होता है
आप बोलते हैं और वह
मंत्र मुग्ध होता है
कितने पल
सुनहरे पल
जिन्हें सहेजकर रख कर
कितना सुंदर होता है
आओ
ऐसे कुछ पलों को
सहेज लें
और
कभी-कभी
उन्हें अपने पास
महसूस करें ।