भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पेन्टिंग-३ /गुलज़ार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:12, 24 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह=रात पश्मीने की / ग...' के साथ नया पन्ना बनाया)
"जोरहट" में, एक दफ़ा
दूर उफ़ुक के हलके हलके कोहरे में
'हेमन बरुआ' के चाय बागान के पीछे,
चान्द कुछ ऐसे रखा थ,-- --
जैसे चीनी मिट्टी की,चमकीली 'कैटल' राखी हो!!