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पड़ोसी-२ /गुलज़ार

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आँगन के अहाते में
रस्सी पे टंगे कपड़े
अफसाना सुनाते हैं
एहवाल बताते हैं
कुछ रोज़ रूठाई के,
माँ बाप के घर रह कर
फिर मेरे पड़ोसी की
बीबी लौट आयी है.

दो चार दिनों में फिर,
पहले सी फ़िज़ा होगी,
आकाश भरा होगा,
और रात को आँगन से
कुछ "कामेट" गुज़रेंगे!
कुछ तश्तरियां उतरेंगीं!