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जागो मोहन प्यारे / शैलेन्द्र
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जागो जागो जागो
जागो मोहन प्यारे
जब उजियारा छाये
मन क अन्धेरा जाये
किरनों की रानी गाये
जागो हे, मेरे मन मोहन प्यारे
जागी रे जागी रे जग कलियां जागी
जागी रे जागी रे जागी रे
जागी रे जागी रे जग जग
जागो मोहन प्यारे जागो
नव युग चूमे नैं तिहारे
जागो, जागो मोहन प्यारे
जागी जागी रे जग कलियान जागी
जागी रे जागी रे जागी रे
जागी रे जागी रे जग जग
भीगी भीगी अँखियों से मुसकाये
ये नैइ भोर तोहे अंग लगाये
बाहें फैला ओ दुखियारे
जागो मोहन प्यारे ...
जिसने मन का दीप जलाया
दुनिया को उसने ही उजला पाया
मत रहना अँखियों के सहारे
जागो मोहन प्यारे ...
किरन परी गगरी छलकाये
ज्योत का प्यासा प्यास बुझाये
फूल बने मन के अंगारे
जागो मोहन प्यारे ...