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चीख / भानुमती नागदान

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चीख ! आप ने यह चीख सुनी
सुनिए। सुनिए यह चीख सुनिए
यह दिल दहलाने वाली दर्द भरी चीख सुनिए
यह तेरी मेरी हमारी माँ की चीख है
यह करुण चीख हमारी 'मॉरीशस' माँ की चीख है ।
हमारी धरती माँ के जिस्म को टुकड़ों में बाँटा जाता है ।
विश्व की मंडी में उसकी निलामी होती है ।
खरीदारों की कतार लगी है ।
हमारी धरती माँ का व्यापार करने वाले
कोई और नहीं उनके खुद के बेटे भरवे बनकर
उनका सौदा करवा रहे है ।
आज माँ की प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा नहीं होती
माँ की प्रशंसा उसके जिस्म को चीर फाड़ कर मूल्य लगाया जाता है ।
समुंदर किनारे की ज़मीन निलामी पर
पहाड़ों के कतरे कतरे हो रहे है
उपजाऊ ज़मीन ; लहलहाते खेत
सब कुछ मंडी में आ गया है ।
ज़मीन के टुकड़ों पर होटलें, बंगले बनाये जाते हैं
खरीदने वाले बड़े-बड़े विदेशी आसामी होते हैं ।
महाभारत की द्रोपदी की तरह
हमारी धरती माँ का चीरहरण हो रहा है ।
द्रौपदी की रक्षा करने श्री कृष्ण जी आये थे
परन्तु हमारी धरती माँ मॉरीशस को कौन बचाएगा ।